संस्कृत के संरक्षण से ही भारत की महान विरासत सुरक्षित– मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

********************************************* संस्कृत भाषा के माध्यम से हमारी भारतीय संस्कृति पुनः जीवन्त हुई*– उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय.. *********************************************

संस्कृत को समझना है तो इस स्वर(स्वस्तिवाचन एवं मंगलाचरण)को अपने जीवन में समाहित कर इसके साथ तारतम्य को बैठाना होगा। अध्यात्मिक उर्जा से ओत-प्रोत इस स्वर को प्रत्येक सनातनियों को अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा। संस्कृत देववाणी के साथ ही वैज्ञानिक भाषा भी है। वर्तमान तकनीकी समय में आ रही समस्याओं के समाधान में यह भाषा सहायक बन रही है।

उक्त विचार रविवार को पूर्वाह्न 11.00 बजे, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित संस्कृत के विभिन्न कक्षाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों का संस्कृत छात्रवृत्ति योजना का शुभारम्भ करते हुये उत्तर प्रदेश के यशस्वी माननीय मुख्यमंत्री एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री योगी आदित्य नाथ ने व्यक्त किया। प्रदेश के 69,195 विद्यार्थियों को मिलेगा छात्रवृत्ति योजना का लाभ:

माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्य नाथ जी ने कि प्रदेश के 69195 विश्वविद्यालय एवं संबंद्ध विद्यालयों के संस्कृत के विद्यार्थियों को रुपये 586 लाख छात्रवृत्ति का संवितरण करते हुये उन्होंने कहा कि “छात्रवृत्ति वितरण समारोह” भारतीय संस्कृति की आत्मा के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुये कहा कि पूरे प्रदेश में मात्र 300 संस्कृत के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती थी। सन् 2001 में उत्तर प्रदेश में संस्कृत परिषद् बनी लेकिन परिषद को मान्यता मिली ही नही जब 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आयी तो इस सरकार ने परिषद को मान्यता प्रदान किया। उन्होंने संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति की दुर्दशा के लिये पूर्व के सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हुये कहा कि प्रदेश में गुरुकुल की परम्परा को आगे बढ़ाना होगा जिससे संस्कृत और भारतीय संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन हो सके। मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्य नाथ कहा कि जो विद्यालय मठ एवं मंदिर छात्रों के लिये निःशुल्क भोजन के साथ छात्रावास उपलब्ध करायेंगे उनको यह सरकार अनुदान देने का कार्य करेंगी। उन्होंने इस विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक महिमा का बखान करते हुये बताया कि यह विश्वविद्यालय 235 वर्षों से अनवरत संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति की संरक्षण एवं सवंर्धन करता आ रहा है।

ऐतिहासिक सरस्वती भवन पुस्तकालय की चर्चा करते हुये बताया कि यहां लगभग 75 हजार पाण्डुलिपियां है जिनको यह विश्वविद्यालय संरक्षित कर रहा है। जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा के ज्ञान तत्व संरक्षित है।

संस्कृत में शोध के लिये छात्रवृत्ति देने की घोषण की है:-

उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से एक विस्तृत कार्ययोजना बनाकर देने को कहा जिससे इस विश्वविद्यालय का सम्पूर्ण विकास हो सके और इसके पुराने स्वरूप को आगे बढ़ाया जा सकें। भारत की विरासत और भारतीय संस्कृति का संरक्षण केवल संस्कृत की कर सकता है। उन्होंने संस्कृत में शोध के लिये छात्रवृत्ति देने की घोषण की है। जिससे ये संस्कृत के छात्र भारतीय संस्कृति के मूल तत्व को दुनिया के सामने रख सकें। उन्होंने महाविद्यालय एवं कालेज के प्रबन्धकों, प्रधानाचार्यों से आग्रह करते हुये कहा कि जितने शैक्षणिक पद खाली है उसपर तत्काल नियुक्ति किया जाय अगर कोई आचार्य पहले से ही उस पद पर है तो उन्हें वेटेज देकर आगे बढाने का कार्य करे जिससे संस्कृत और भारतीय संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन हो सके।

समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रदेश के उच्च शिक्षामंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि काशी देवनगरी है और संस्कृत देवभाषा है। भारतीय संस्कृति का केन्द्र काशी को बताते हुये उन्होंने कहा कि पूरे विश्व के लोग सरस्वती में डुबकी लगाने के लिये काशी आते है। संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति की कल्पना अधुरी लगती है। संस्कृत को पुष्ट करने से संस्कृति भी पुष्ट हो जाती है। उन्होंने नालन्दा एवं तक्षशिला विश्वविद्यालयों की चर्चा करते हुये कहा कि ये हमारे गौरवशाली अतीत है। हमारे प्राचीन गुरुकुलों में शास्त्र और शस्त्र दोनों की शिक्षा दी जाती है। शस्त्र के बल से शास्त्रों पर प्रहार हुआ जिससे संस्कृत व भारतीय संस्कृति को बहुत नुकसान हुआ लेकिन इसी संस्कृत भाषा के माध्यम से हमारी भारतीय संस्कृति पुनः जिवन्त हुई। लार्ड मैकाले ने भारतीय संस्कृति को बहुत नुकसान पहुंचाया। हमारी संस्कृत सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की है। भगवा हमारी संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने भारतीय राजनिति पर चर्चा करते हुये कहा कि राजनिति भी दो भागों में बटी हुई है। एक तरफ सबका साथ सबका विकास दुसरी तरफ जातिवादी एवं परिवारवादी व्यवस्था वाली है।

मुख्यमंत्री जी ने अपने सुशासन के बल पर भारत का हृदयस्थल उत्तर प्रदेश को एक नयी दिशा दी है:–

उक्त समारोह की अध्यक्षता एवं आगंतुक अतिथियों का स्वागत/अभिनंदन करते हुये विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० बिहारीलाल शर्मा ने कहा कि 17 संस्कृत विश्वविद्यालय में सबसे पुराना सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय है जो कि लगभग 235 वर्ष से भी पुरानी है। मुख्यमंत्री ने अपने सुशासन के बल पर भारत का हृदयस्थल उत्तर प्रदेश को एक नयी दिशा दी है। उच्च शिक्षा मंत्री भी लगातार उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने में लगे हुये हैं।काशी बाबा विश्वनाथ की नगरी और अध्यात्मिक रूप में पूरे विश्व में प्रचलित है। संस्कृत देववाणी के रूप में जानी जाती है। इस देववाणी के संरक्षण एवं भारतीय संस्कृति के संवर्धन के लिये आज उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जो ऐतिहासिक निर्णय लिया गया मैं सरकार को साधुवाद देते हुये उनके प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। इस सरकार ने जो हमारी पारम्परिक विधाओं के संरक्षण के लिये जो संकल्प किया था उसकों पूर्ण करके अपने संकल्प को सिद्ध किया है। एक तरफ जहाँ पूरी दुनिया बुढ़ी हो रही है वही अपना भारत देश दिन प्रति दिन जवान होता जा रहा है। उन्होंने जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है का जिक करके छात्रों का उत्साह वर्धन किया।

मुख्यमंत्री जी ने 12 विद्यार्थियों को चेक देकर शुभारंभ किया :-

समारोह की शुरूआत मुख्यमंत्री द्वारा 12 छात्र-छात्राओं सुहानी कुमारी, तनुज शुक्ला, रंजना कुमारी, कृष्ण द्विवेदी, आर्यन द्विवेदी, अभिनव मिश्रा, स्मिता पाठक, बबलू पाठक, योगेश कुमार दूवे, प्रिन्स पाण्डेय, हंस कुमार विस्वा और गोपी को प्रतिकात्मक चेक प्रदान कर छात्रवृत्ति योजना का शुभारम्भ किया।

विश्ववि‌द्यालय के 36, वाराणसी से 4203 तथा प्रदेश से 69195 वि‌द्यार्थियों को छात्रवृत्ति-

ज्ञातव्य हो कि गत दिनों उत्तर प्रदेश के यशस्वी माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा संस्कृत के अभ्युत्थान के लिएअध्ययनरत विद्यार्थियों को क्रमशः विश्ववि‌द्यालय के 36, वाराणसी जनपद के 4203 तथा सम्पूर्ण प्रदेश के 6919 है।

कक्षा प्रथमा (6-8)- क्रमशः (कक्षा 6-7)-रु. 50/- (कक्षा 8)-रु. 75/- प्रतिमाह एवं वार्षिक 600/-900/-रुपये

पूर्व मध्यमा (9-10)- रुपये 100/- प्रतिमाह तथा वार्षिक 1200/- रुपये.

उत्तर मध्यमा (11-12)- रुपये 150/- प्रतिमाह तथा 1800/- वार्षिक.

शास्त्री कक्षा (स्नातक) रुपये 200/- प्रतिमाह तथा 2400/-वार्षिक.

आचार्य (परास्नातक)-

रुपये 250/- प्रतिमाह तथा 3000/-वार्षिक छात्रवृत्ति देने के संकल्प को पूर्ण करेंगे।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में विश्ववि‌द्यालय के परंपरानुसार वेद के वेद आचार्य एवं विद्यार्थियों के द्वारा मंगलाचरण (वैदिक, पौराणिक)किया गया।

वैदिक मंत्रों, स्वस्तिवाचन से ऊर्जा युक्त बना परिसर–

वैदिक मंत्रों, स्वस्तिवाचन से मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्य नाथ जी के आगमन के साथ स्वागत और अभिनंदन के साथ संस्था के परम्परानुसार वैदिक विद्यार्थियों के द्वारा पारम्परिक वस्त्रों में स्वस्तिवाचन, वैदिक मंत्रों के साथ शंखनाद कर सम्पूर्ण परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा और वैदिक शक्तियों से आच्छादित हो गया।

उक्त समारोह में मुख्य रूप से काशी विश्वनाथ न्यास परिषद् के अध्यक्ष प्रो० नागेन्द्रनाथ पाण्डेय, पद्मश्रीप्रो० वशिष्ठ त्रिपाठी, मंत्री श्री रविन्द्र जायसवाल, श्री दयाशंकर मिश्र “दयालु” विधायक डॉ० नीलकंठ तिवारी, श्री सौरभ श्रीवास्तव, श्री सुनील पटेल, श्री त्रिभुवन राम, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती पूनम मौर्या, विधान परिषद श्री हंसराज़ विश्वकर्मा, श्री अम्बरीश भोला, महंत शंकरपुरी संतोष दास, बालकदास, धर्मसंघ के अध्यक्ष पंडित जगजीतन पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव (गृह, वित्त एवं माध्यमिक) श्री दीपक कुमार, विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री राकेश कुमार, डॉ० कमलेश झा. शिक्षा विभाग के अधिकारी, विश्वविद्यालय के आचार्य, अधिकारी, कर्मचारी एवं छात्र छात्रायें सहित विद्यालयों के प्रधानाचार्य उपस्थित थे।

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