वॉयस ऑफ बनारस।
वाराणसी। देश के विख्यात राजनीतिक शास्त्र के के विद्वान प्रो. आकाश जायसवाल जी अग्रसेन पीजी कॉलेज वाराणसी में आयोजित गोष्ठी “मेरा संविधान मेरा स्वाभिमान” में ने संविधान दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “, भारत के संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है जिसकी परिकल्पना 1930 में की गई थी.संविधान का मतलब सम धन विधान से सम्बद्ध है इस दिवस क़ो पूर्ण स्वराज के लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए हम क़टिबद्ध हुए थे.हमारा संविधान इसकी प्रस्तावना ही “हम भारत के लोगों” से की जाती है.जिसका मूल में पूर्ण समावेशी दृष्टिकोण है।
विश्व के कई संविधानों का अध्ययन करने के बाद डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने भारतीय संविधान की रचना की थी.तत्कालीन समय संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद सहित कई मनीषी विद्वान के विमर्श और चिंतन के बाद संविधान का मूल साकार हुआ.संविधान में हमारे मौलिक कर्तव्य,हमारे मौलिक अधिकार,राज्य के नीति निर्देशक तत्व के साथ ही साथ संविधान में जो संशोधन की प्रक्रिया है वह हमारे संविधान को सतत गतिशील बनाती है.आज संविधान के संशोधन से ही पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई है देश में और हमारे मौलिक अधिकार निर्धारित हुए हैं.हमारे संविधान जितने में नीति निर्देशक तत्व सभी व्यक्ति के लिए समान है.कानून के समक्ष सभी समान है.