************************************************पुरातत्व संग्रहालय का नामकरण “वीर सावरकर” के नाम से जाना जाएगा— कुलपति प्रो शर्मा।********************************************** आज का दिन संकल्प और आत्मावलोकन का दिन है- कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा **********************************************
वॉयस ऑफ बनारस।
वाराणसी। भारत ज्ञान की भूमि रही है, इस ज्ञान का सबसे सशक्त माध्यम देववाणी संस्कृत में अंतर्निहित है संस्कृत भाषा एकता के सूत्र की भाषा है।इस भाषा के संरक्षण संवर्धन के लिए यह विश्वविद्यालय अति प्राचीन है। यह संस्था उच्च शिक्षा,भारतीय ज्ञान परंपरा और उत्कृष्ट शोध के लिए स्थापित है इसे मजबूती से आगे बढ़ना चाहिए। सम्पूर्ण देश में जितने प्राचीन भाषा के संस्था हैं वह इसी विश्वविद्यालय से जोड़ना चाहिए।. इसके लिए सभी लोग संकल्पित भाव से मिलजुलकर कर इस भाव साधना को पूर्ण करने की जरूरत है। इस संस्था के लिये सदैव सहयोग का प्रयास किया जाएगा.
उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने ऐतिहासिक मुख्य भवन के समक्ष 76 वें गणतंत्र दिवस समारोह के अंतर्गत बतौर मुखिया व्यक्त किया।
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि आज का दिन भारत के लिए अभूतपूर्व दिन है।हमारे स्वाधीनता संग्राम सेनानियों ने लम्बे संघर्ष के बाद जिस सपने को देखा था उस संकल्प को लेकरके स्वतंत्रता सेनानियों ने संघर्ष किया उस संघर्ष की परिणति के रूप में 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली। इस आजाद भारत को एक तंत्र की आवश्यकता थी उस तंत्र के अधीन इस देश को आगे बढ़ना था।इसके लिए संविधान सभा का निर्माण हुआ तो संविधान सभा ने 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन लगाकरके इस संविधान की रचना की जिसके परिणामस्वरूप 26 जनवरी 1950 को वह सुनहरा अवसर आया जब देश में अपना संविधान लागू हुआ। भारत की आनबान और शान का प्रतीक य़ह तिरंगा इस खुले आसमान के नीचे फहराने लगा। आज हम गौरव शाली हैं वर्तमान शासन सत्ता ने एक साँस्कृतिक- राष्ट्रीय जागरण के माध्यम से इस देश की जनता को जगाया।देश की तरुणाई को ललकारा, देश की जवानी को जागृत किया।
सभी अध्यापकों और कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि हम जहाँ भी हैं यदि अपने कर्तव्यों का पालन निष्ठापूर्वक करते हैं तो हम देशभक्त हैं।जो व्यक्ति जहां भी है वह अपने कर्तव्यों का सुचारू रूप से पालन करें वही राष्ट्र भक्ति है हम अपने परिसर को स्वच्छ रखें, अध्ययन- अध्यापन की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखें तथा कार्यालयीय कार्यों को शुचिता और पारदर्शिता के साथ समय पर संपादित करें तो देशभक्त हैं।
पुरातत्व संग्रहालय “वीर सावरकर” जी के नाम से जाना जाएगा-
गणतन्त्र दिवस पर सेल्युलर जेल पर आधारित प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि छायाचित्र ही इतिहास के साक्ष्य हैं और इससे महान स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। उन्होंने घोषणा की कि विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय का नाम वीर सावरकर जी के नाम पर रखा जाएगा। डॉ विजेंद्र कुमार आर्य ने संचालन किया।
समारोह के प्रारम्भ में मंगलाचरण– डॉ विजय कुमार शर्मा ने वैदिक मंगलाचरण किया।
प्रारम्भ में विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक मुख्य भवन के समक्ष कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने एनसीसी छात्रों की परेड का निरीक्षण, भारत माता की चित्र एवं गांधी जी, नेहरू जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण करके ध्वजारोहण के साथ सामूहिक राष्ट्र गान किया गया।
संगीत विभाग के द्वारा कुलगीत एवं ध्वज वंदना किया गया।
परिसर स्थित माँ सरस्वती देवी, डॉ सम्पूर्णानंद जी एवं पंडित चन्द्रशेखर आजाद की मूर्ति पर माल्यार्पण कर नमन किया गया। राष्ट्रगान के साथ समारोह समापन हुआ।
इस अवसर पर कुलसचिव राकेश कुमार, प्रो रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो रामपूजन पाण्डेय,प्रो रजनीश कुमार शुक्ल, प्रो सुधाकर मिश्र, प्रो हरिशंकर पाण्डेय,प्रो अमित कुमार शुक्ल,डॉ पद्माकर मिश्र, प्रो हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो जितेन्द्र कुमार, प्रो राजनाथ,प्रो शैलेश कुमार मिश्र,प्रो रमेश प्रसाद, प्रो राजनाथ, प्रो विजय कुमार पाण्डेय, प्रो दिनेश कुमार गर्ग,प्रो विद्या कुमारी डॉ विशाखा शुक्ला, विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी शशीन्द्र मिश्र सहित संस्था के अन्य अध्यापक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थियों ने सहभाग किया।