***************************************** अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति का संदेश **************************************** ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ स्लोगन के साथ एनसीसी कैडेट्स ने जागरूकता रैली निकाली ***************************************
वायस आफ बनारस।
वाराणसी। आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इस पावन अवसर पर, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी की ओर से मैं समस्त मातृशक्ति को सादर नमन करता हूँ। यह दिवस न केवल महिलाओं के अधिकारों, संघर्षों एवं उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि यह सम्पूर्ण समाज के लिए आत्मचिंतन का भी अवसर प्रदान करता है कि हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर नारी को उसके गरिमामय स्थान पर पुनः प्रतिष्ठित करने हेतु क्या योगदान दे सकते हैं।
उक्त विचार कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अंतर्गत व्यक्त किया। उनहोने कहा कि भारत की सनातन परंपरा में नारी शक्ति को सदैव श्रद्धा, सृजन, शक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक माना गया है। वेदों में नारी को ‘अर्धांगिनी’ के रूप में पुरुष का सहचर्य प्राप्त है, वहीं उसे “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:” (मनुस्मृति 3.56) कहकर देवत्व की उपाधि भी दी गई है।
संस्कृत साहित्य में गार्गी, मैत्रेयी, लोपामुद्रा, अपाला, भारती जैसी विदुषियों का योगदान अद्वितीय रहा है। यह प्रमाणित करता है कि नारी सदा से ही भारतीय ज्ञान परम्परा की ध्वजवाहक रही है। महाभारत में वर्णित कुन्ती, गान्धारी, द्रौपदी एवं रामायण में सीता, अनुसूया, तारा और मन्दोदरी जैसी नारियाँ केवल परिवार एवं समाज की आधारशिला ही नहीं थीं, बल्कि उन्होंने सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों की स्थापना में भी अग्रणी भूमिका निभाई।
संस्कृत अध्ययन में नारी शक्ति की भूमिका
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी सदैव नारी शिक्षा एवं संस्कृत अध्ययन में महिलाओं की सहभागिता को प्रोत्साहित करता रहा है। विश्वविद्यालय में संस्कृत साहित्य, दर्शन, ज्योतिष, व्याकरण एवं शास्त्रीय अध्ययन में छात्राओं की सक्रिय भागीदारी यह दर्शाती है कि नारी शक्ति भारतीय ज्ञान परंपरा को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
वर्तमान समय में, जब शिक्षा और तकनीक के क्षेत्र में महिलाओं ने नए आयाम स्थापित किए हैं, वहीं संस्कृत अध्ययन एवं शास्त्र ज्ञान में भी उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती जा रही है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम महिलाओं को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ अपनी पारंपरिक संस्कृति से जोड़ते हुए उन्हें संस्कृत एवं भारतीय ज्ञान परंपरा में अग्रणी स्थान दिलाएँ।
नारी सशक्तिकरण की दिशा में हमारा संकल्प
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय इस अवसर पर यह संकल्प करता है कि –
1. संस्कृत शिक्षा में नारी सहभागिता को बढ़ावा देने हेतु विशेष योजनाएँ चलाई जाएँगी।
2. महिलाओं के लिए संस्कृत शास्त्रार्थ, पाण्डित्य एवं शोध को सुलभ बनाने हेतु आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएँगे।
3. संस्कृत एवं वैदिक शिक्षा में महिलाओं के ऐतिहासिक योगदान को पुनः स्थापित करने हेतु विशेष शोध परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा।
इस महिला दिवस पर हम पुनः यह स्वीकार करते हैं कि नारी न केवल समाज की आधारशिला है, बल्कि वह ज्ञान, संस्कृति, शक्ति और संवेदनशीलता की प्रतीक भी है। आज हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि नारी सशक्तिकरण केवल एक विचार न रहे, बल्कि यह हमारे संस्कारों, नीतियों एवं व्यवहार में परिलक्षित हो।
समस्त मातृशक्ति को कोटिशः नमन एवं हार्दिक शुभकामनाएँ।
एनसीसी कैडेटों ने पोस्टर और बैनर के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता फैलाई—-
वहीं दूसरी तरफ एनसीसी अधिकारी डॉ विजेन्द्र कुमार आर्य के नेतृत्व में एनसीसी कैडेटों ने
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। इस रैली में एनसीसी कैडेटों ने पोस्टर और बैनर के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता फैलाई। रैली के दौरान, जैन एवं प्राकृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. हरिशंकर पाण्डेय जी ने महिला दिवस पर नारी सम्मान और शिक्षित नारी पर ओजस्वी पूर्ण वक्तव्य दिया। एनसीसी अधिकारी डॉ. विजेन्द्र कुमार आर्य ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ स्लोगन के महत्व पर प्रेरणादायी वक्तव्य दिया। इस रैली का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना था।