प्रभु श्री राम सहित चारों भाइयों के विवाह को देखकर भक्त हुए निहाल

***************************************** जैतपुरा में संगीतमय रामकथा का पांचवां दिन *****************************************

वॉयस ऑफ बनारस।

वाराणसी। अखिल भारतीय सनातन न्यास, जैतपुरा वाराणसी द्वारा आयोजित मां बागेश्वरी देवी के प्रांगण में राम कथा के पांचवें दिन अपने प्रवचन में पातालपुरी पीठाधीश्वर अनंत श्री विभूषित श्रीमद् जगतगुरु नरहरिया नंद द्वाराचार्य श्री बालक देवाचार्य जी

महाराज ने कहा कि गुरु विश्वामित्र के साथ आए हुए अवध नरेश के राजकुमार प्रभु राम एवं लक्ष्मण जी के आगमन पर राजा जनक ने मुनि का नगर आगमन पर आदर एवं सम्मान कर सीता स्वयंवर की सारी बातें बताकर गुरु विश्वामित्र को भी स्वयंवर में आने का निमंत्रण दिया। उचित समय पर मुनि दोनों भाइयों को लेकर स्वयंवर स्थल पर पहुंचे। जब वहां पर विभिन्न देशों प्रदेशों से आए हुए राजा शिव जी के धनुष को तोड़ना तो दूर उसे हिला तक नहीं सके, तब महाराज जनक के संताप को दूर करने हेतु गुरु जी की आज्ञा पाकर प्रभु राम ने मंच पर सभी उपस्थित राज समाज – मुनी समाज एवं राजा प्रजा सहित धनुष को भी प्रणाम करके उन्होंने धनुष को बीच से ही तोड़ दिया क्योंकि सभागार में धनुष अहंकार का प्रतीक साबित हो रहा था। यह देखकर राजा जनक काफी हर्षित नजर आए। इस अवसर पर पूरा राज समाज राजा रामचंद्र की जय, महाराज जनक की जय के नारे से गूंज उठा। इसके बाद इस समाचार को राजा जनक के दूत गुरु विश्वामित्र के कहने पर अयोध्या महाराज दशरथ के पास आए तथा उनसे बारात लेकर चलने का विनम्रता पूर्वक निमंत्रण भी दिया। चारों भाइयों का बड़े ही राजशाही ठाठ बाट से बारात अयोध्या से चलकर मिथिला पहुंची, जहां गुरु वशिष्ठ के नेतृत्व में वैदिक रीति से विवाह देखकर पूरे जनकपुर वासी प्रफुल्लित हो उठे।

गुरुवार को पंडाल में यह दृश्य देखकर पूरे भक्तगण खुशी से रोमांचित हो उठे तथा प्रभु श्री रामचंद्र की जय, चारों भइयों की जय तथा हर हर महादेव के नारे लगाने लगे।

इस अवसर पर पंडित वेद प्रकाश मिश्रा कलाधर पूज्य रामानुजाचार्य श्रीधाम वृंदावन एवं पंडित सच्चिदानंद त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किया।

मंच का संचालन प्रधान सचिव राजेश सेठ ने किया।

अंत में व्यास पीठ की आरती जगनारायण गुप्ता, अनिल केसरी, गिरीश वर्मा बबलू, जयशंकर गुप्त, राजेंद्र जी, राकेश जी, कमल जी, श्याम सुंदर जी, किशोर सेठ, मदन जी, श्री प्रकाश जी, राजकुमार जी, बाबा प्रेम शरण दास पुजारी, आनंद जौहरी, प्रदीप जी, रवि नन्दन तिवारी ने आरती उतारी।

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