वॉयस ऑफ बनारस।
वाराणसी।अखिव भारतीय सनातन न्यास जैतपुरा वाराणसी द्वारा आयोजित राम कथा के छठवें दिवस पर पाताल पूरी पीठाधीश्वर श्री मद जगद्गुरु नरहरया नंद बालक देवाचार्य जी महाराज जी ने अपने प्रवचन में कहां कि चारों भाइयों की बारात लेकर महाराज दशरथ जनकपुर पहुंचे राजा जनक ने उन्हें गले लगाकर तथा चरण स्पर्श कर के गुरु वशिष्ट का सम्मान किया तब मुनि ने प्रभु राम का सीता जी से
भरत का मांडवी से लक्ष्मण का उर्मिला से एवं शत्रुघ्न का सूत्कृति से पाणिग्रहण संस्कार संपन्न करवाया चारु भाइयों के विवाह देखकर सुर नर मुनि तथा जनक पुर वासी अपने नेत्रों को सफल समझ रहे थे चारों कन्याओं की विदाई करते समय महाराज जनक ने इससे श्री गणेश जी का ध्यान करके अपनी नम आंखों से विदा करते समय उन्होंने महाराज दशरथ से कहा कि महाराज अभी सभी कन्याएं बहुत ही छोटी है इसलिए सदैव इनको अरे दासी की तरह रखिएगा महाराज दशरथ ने उन्हें गले लगाते हुए आश्वासन देकर उन्हें विदा किया तब बारात अयोध्या वापस आई पूरे अयोध्या में हर्ष का माहौल उमर पड़ा एक दिन महाराज दशरथ ने बड़े पुत्र राम को अयोध्या का राजा बनाने हेतु गुरु वशिष्ठ से विचार विमर्श किया तब गुरु वशिष्ट ने मुहूर्त निकाल कर राजतिलक की तैयारी करने के लिए मुनि ने वचन दिया यह बात जब देवी-देवताओं को पता लगा तब वह सीधे मां सरस्वती के पास पहुंचे तथा सभी लोगों ने मां सरस्वती से प्रार्थना कियाकि यदि राम अयोध्या के राजा बन जाएंगे तो रावण कैसे मारा जाएगा उन लोगों की बातों को सुनकर मां सरस्वती ने रानी कैकयी की विश्वसनीय दासी मंथरा मंत्रा की बुद्धि को फेर दिया प्रथम वक्ता के रूप में काशी के मूर्धन्य मानस वक्ता पंडित वेदप्रकाश मिश्र कलाधर जी ने कहा कि वन गमन की जानकारी होने पर लक्ष्मण जी अपनी माता सुमित्रा के पास राज महल में आए तब उन्होंने भी भईया के साथ वन जाने की अनुमति मांगी तब सुमित्रा जी ने उन्हें सहर्ष भाव से समझाया कि वन में तुम्हारी मां जानकी एवं पिता राम को ही समझ कर उनकी आज्ञा का पालन करना।
मंच का संचालन प्रधान सचिव राजेश सेठ ने किया। अंत में व्यास पीठ की आरती डॉक्टर दयाशंकर मिश्र दयालू मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार मृदुला जायसवाल पूर्व महापौर अनिल जायसवाल ओमकार जी वीरेंद्र जी ज्ञान चंद मौर्य अनिल वर्मा राकेश कुमार छेदी लाल संजय महाराज रविनंदन तिवारी मोहनलाल अजय कुमार राजेंद्र जायसवाल सुजीत कुमार रवि प्रकाश अनामिका देवी माला जायसवाल सुधा जी ने व्यास पीठ की आरती उतारी।