संस्कृत विश्वविद्यालय मे स्व अटल बिहारी बाजपेयी की शताब्दी जन्म जयंती समारोह संपन्न

वॉयस ऑफ बनारस।

वाराणसी। भारत रत्न स्व अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म शताब्दी समारोह में भारत की पड़ोस नीति में उनके योगदान पर विचारोत्तेजक चर्चा की गई। पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में, वाजपेयी जी ने भारत के अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के शिक्षा शास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष एवं संयोजक डॉ विशाखा शुक्ला ने भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म जयंती के 100 वर्ष पूर्ण होने वर्ष भर चलने कार्यक्रमों की शृंखला में आज शिक्षाशास्त्र विभाग में आयोजित “भारत के पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्धों पर अटल जी के विचार एवं कृतित्व पर चर्चा/परिचर्चा” की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किया।

पड़ोस प्रथम नीति वाजपेयी जी की सरकार ने आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने को प्राथमिकता दी। सार्क५ शिखर सम्मेलन और भारत-पाकिस्तान बस कूटनीति जैसी उनकी पहलों का उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग और शांति को बढ़ावा देना था।

भारत-पाकिस्तान संबंध  चर्चा में लाहौर घोषणा और आगरा शिखर सम्मेलन सहित भारत-पाकिस्तान संबंधों को बेहतर बनाने के लिए वाजपेयी जी के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया। संवाद और कूटनीति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया।

क्षेत्रीय सहयोग क्षेत्रीय सहयोग के लिए वाजपेयी जी का दृष्टिकोण सार्क को मजबूत करने और दक्षिण एशिया में आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों में स्पष्ट था। उनके नेतृत्व ने क्षेत्रीय संवाद और सहयोग के लिए एक मंच बनाने में मदद की।

स्थायी प्रभाव भारत की पड़ोस नीति में वाजपेयी जी के योगदान का क्षेत्रीय गतिशीलता पर स्थायी प्रभाव पड़ा है। संवाद, सहयोग और आपसी समझ पर उनका जोर क्षेत्र में भारत की विदेश नीति का मार्गदर्शन करता है।

भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा  चर्चा में वाजपेयी जी के नेतृत्व गुणों, कूटनीतिक कौशल और शांति और सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया। उनकी विरासत नेताओं और राजनयिकों की भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का काम करती है।

विद्यार्थियों ने सहभाग कर प्राप्त किए पुरस्कार

अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत पर चर्चा दक्षिण एशिया में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने में पड़ोस की कूटनीति और क्षेत्रीय सहयोग के महत्व की याद दिलाती है।

अखिलेश पाण्डेय द्वारा भारत पाकिस्तान सम्बन्धों पर प्रकाश डालते हुए समझौता एक्सप्रेस, क्रिकेट प्रतियोगिता अटल जी द्वारा पाकिस्तान यात्रा के दौरान महिला पत्रकार के विवाह प्रस्ताव जैसे प्रसंगों की चर्चा की गयी। यश पचौरी द्वारा पोखरण परमाणु परीक्षण जैसे अटल जी के भारत की सीमा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिये गये कठोर निर्णयों और उनकी दृढता और कटिबद्धता जैसे गुणों की व्याख्या की गयी। एक अन्य छात्र राजू प्रसाद यादव द्वारा अटल जी के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलूओं और घटनाक्रम पर प्रकाश डालते हुए भारती चीन सम्बन्धों पर विस्तृत चर्चा की गयी। नन्दा शर्मा ने भारत नेपाल के मध्य हुए धार्मिक, सांस्कृतिक व भाषायी आदान-प्रदान के विषय में बताया। शिक्षाशास्त्र के छात्र कृष्ण बिहारी दूबे द्वारा भारत श्रीलंका सम्बन्धों की चर्चा करते हुए भारत के “पड़ोसी प्रथम” नीति के अर्न्तगत श्रीलंका के साथ हुए राजनैतिक आदान-प्रदान, पूँजी निवेश, पर्यटन बढ़ाने सम्बन्धी लिये गये फैसलों के विषय में अवगत कराया।

द्वितीय पुरस्कार यश पचौरी ने प्राप्त

चर्चा परिचर्चा के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले दो छात्रों को अध्यक्ष शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। पुरस्कृत होने वाले छात्रों में प्रथम पुरस्कार अखिलेश पांडे द्वारा प्राप्त किया गया व द्वितीय पुरस्कार यश पचौरी ने प्राप्त किया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में वैदिक मंगलाचरण, दीप प्रज्वलन एवं माँ सरस्वती जी एवं स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।

उस दौरान विश्वविद्यालय के अध्यापकों, अधिकारियों एवं विद्यार्थियों में डॉ कृष्ण कुमार, डॉ मनु, डॉ प्रिया यादव आदि..

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