वॉयस ऑफ बनारस।
अठन्नी यानी 50 पैसे के सिक्के बाजार से बिल्कुल गायब हो चुके हैं। साल 2011 में छोटे मूल्य के सिक्कों का चलन काफी कम हो गया था। ऐसे में बाजार में मौजूद 1500 करोड़ सिक्के कहां है, इसका कोई अता पता नहीं है।
आप सबने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि ‘आमदनी अठन्नी-खर्चा रुपैया’। फिलहाल, यह मुहावरा तो कायम है, लेकिन बाजारों से अठन्नी गायब हो चुकी है। वो अठन्नी, जो कभी चाय-पान के ठेलों में चलती थी। वो अठन्नी, जिसे कभी लोग 1-2 रुपए के सिक्के की तरह इस्तेमाल किया करते थे।
बाजार में मौजूद हैं 1500 करोड़ अठन्नियां
रिजर्व बैंक की कानपुर शाखा के आंकड़े बता रहे हैं कि बाजार में लगभग 1500 करोड़ (15 अरब) अठन्नियां हैं। यह गुल्लकों, दानपात्रों, दुकानों के गल्लों में हैं या फिर गला दी गईं, कोई नहीं जानता। फिलहाल, बाजारों में यह लेन-देन से गायब है। इसी चार अक्तूबर को रिजर्व बैंक ने प्रचलित नोट और सिक्कों की ताजी रिपोर्ट जारी की है।
इन कारणों से गायब हुई अठन्नी
महंगाई का असर: जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती गई, 50 पैसे और उससे कम के सिक्कों की क्रय शक्ति बहुत कम हो गई। लोग इन्हें उपयोग करने में रुचि खोने लगे और इन्हें संभाल कर रखने का चलन भी कम हो गया।
बाजार में उपयोग की कमी: दुकानदार और उपभोक्ता दोनों ने अठन्नियों का इस्तेमाल करना लगभग बंद कर दिया। छोटे लेन-देन में भी इन्हें लेने और देने में परेशानी महसूस की जाने लगी, इसलिए इन्हें धीरे-धीरे चलन से बाहर कर दिया गया।
बाजार में मौजूद हैं 134 अरब सिक्के
रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में कुल 134 अरब सिक्के बाजार में हैं। इनका मूल्य 348 अरब रुपए है। इनमें सबसे छोटा सिक्का 50 पैसे का है। रिजर्व बैंक ने 700 करोड़ रुपए मूल्य की अठन्नियां बाजार में उतार रखी हैं, पर इनका दिखना दुर्लभ है। अठन्नी तो दूर अब एक रुपए का नया छोटा स्टील का सिक्का भी प्रचलन में बेहद कम है। यह ज्यादातर नेग देने वाले लिफाफों में चिपका मिलता है।
गुलाबी नोट बदलने में सिरदर्द बने सिक्के
रिजर्व बैंक 2000 रुपए का एक नोट बदलने पर 250 रुपए के सिक्के देता है। हालांकि इनमें अठन्नी नहीं होती। मौजूदा समय में एक रुपए के छोटे सिक्के दिए जा रहे हैं। सिक्के ज्यादातर रिजर्व बैंक से सीधे नयागंज बाजार पहुंचते हैं, जहां सौ सिक्कों के बदले 90 या 85 रुपए के नोट मिलते हैं।