वॉयस ऑफ बनारस।
वाराणसी। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान उज्जैन में वेदों की मौखिक सस्वर परंम्परा को बचाने के लिए प्रतिवर्ष करीब 148 करोड़ रूपये का अनुदान दिया जाता है,

लेकिन इस संस्थान में पिछडों और महिला विद्यार्थियों की संख्या नगण्य है। इसका मुख्य कारण यह है कि संस्थान के सभी सदस्य अधिकारी और पदाधिकारी ब्राहम्ण है और उनकी मान्यता है कि केवल ब्राह्मणों को ही वेद पढ़ने का अधिकार है अन्य कोई को यह अधिकार नही है।
अभी अगर गौर किया जाये तो इटावा कांड के बाद से देश और प्रदेश्ज्ञ में जो हालात इस वक्त बन रहे है जबकि राज्यसभा में सांसद डा0 अनिल बोंडे ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धमेन्द्र प्रधान से एससी0एसटी0 ओबीसी और महिलाओं के लिए वेदाध्ययन में आरक्षण की मांग की थी। मंत्री ने जवाब में कहा था कि पिछडों और महिलाओं को भी वेद पढने का अवसर मिलेगा] लेकिन इस आश्वासन के दो साल बाद भी वेद संस्थानों में इन विद्यार्थियों की संख्या में कोई वृद्धि नही हुई।
अभी इटावा में यादव समाज के कथावाचक को जिस तरीके से ब्राह्मणों ने जम्नजात जाति व्यवस्था को बनाये रखने के लिए प्रताडित किया वह प्रतिदिन हो रहा है और आगे भी होता रहेगा।
वक्ताओं ने बैठक में यह तय किया कि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति उपराष्ट्र्पति लोकसभा और राज्यसभा के अध्यक्ष को पत्र लिखकर पिछडो और महिलाओं को वेदाध्ययन का अधिकार दिलाने की मांग करेंगे।